Wednesday, February 27, 2019

सैनेटरी पैड बनाने पर ताने सहे, पिता से कहना पड़ा- बच्चों के डायपर बनाती हूं: एक्ट्रेस स्नेहा

हापुड़. 91वें एकेडमी अवार्ड में हापुड़ की बेटियों की पृष्ठभूमि पर बनी शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री ‘पीरियड: द एंड ऑफ सेंटेंस’ को ऑस्कर मिला है। इस फिल्म में मुख्य किरदार स्नेहा ने अदा किया है। उन्होंने अपने गांव काठी खेड़ा में सैनेटरी पैड बनाने वाली यूनिट में काम किया और बाकी लड़कियों को भी इसके लिए प्रेरित किया। इन लड़कियों के संघर्ष पर ही शॉर्ट फिल्म बनी थी। स्नेहा ने कहा कि उन्हें सैनेटरी पैड बनाने पर ताने सुनने को मिलते थे, लेकिन धीरे-धीरे सोच बदली और अब उनके गांव की 70% महिलाएं पीरियड्स पर बात करने में नहीं शर्मातीं। फिल्म को ऑस्कर मिलने के बाद भास्कर प्लस ऐप ने स्नेहा से बातचीत कर उनकी कहानी जानी...

फिल्म को ऑस्कर मिलने के बाद भास्कर प्लस ऐप ने स्नेहा से बातचीत कर उनकी कहानी जानी
आपको इस फिल्म में कैसे मौका मिला?

स्नेहा : हमारे गांव में संस्था एक्शन इंडिया ने सेनेटरी पैड बनाने की एक यूनिट लगा रखी है। पिछले डेढ़-दो साल से मैं भी उसमें काम करती हूं। एक दिन बताया गया कि अमेरिका से कुछ लोग फिल्म बनाने आ रहे हैं। फिल्म बनाने वालों ने कई लोगों से बात की। फिर मुझे और गांव की ही सुमन को सेलेक्ट कर हम लोगों की जिंदगी पर ही फिल्म बनाई गई। फिल्म में कुछ भी अलग से नहीं जोड़ा गया है। पीरियड्स के इर्दगिर्द हमारी क्या रूटीन लाइफ होती है, क्या स्ट्रगल होता है, यही बताया गया।

जब आपने इस संस्था में काम करने के लिए हामी भरी तो किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा?
स्नेहा : इस संस्था से जब पैड बनाने के काम का ऑफर मिला तो मेरे दिमाग में यही था कि इन पैसों से अपनी कोचिंग की फीस जमा कर दूंगी। मां को तो सही-सही बता दिया, लेकिन पिता को बताया कि बच्चों के डायपर बनाने का काम करना है। गांव की महिलाएं कभी-कभी ताना मारती थीं। कहती थीं कि यही काम मिला है? 2 हजार से क्या होता है? मुझे भी कभी-कभी अजीब लगता था लेकिन सच तो यही था कि हम महिलाओं की बेहतर जिंदगी के लिए प्रयास कर रहे थे। साथ ही खुद की जरूरतें पूरी कर रहे थे। अब खुशी है कि गांव की लगभग 70% महिलाएं पीरियड्स पर बात करने से शर्माती नहीं हैं।

कभी आप अपनी लाइफ को लेकर डिप्रेस भी हुई हैं?
स्नेहा : बिलकुल, मैं सुबह उठकर घर की साफ सफाई करती हूं। जानवरों को चारा देना, फिर मंदिर जाना और अपनी पढ़ाई और प्रैक्टिस करना। साथ ही संस्था का भी काम करती हूं। लेकिन जब पिछले साल दिल्ली पुलिस में भर्ती नहीं हो पाई, तब बहुत दुख हुआ। तब पिता ने मुझे संभाला। तब तक मेरी मां ने उन्हें बता दिया था कि मैं संस्था में क्या काम करती हूं? इसके बावजूद उन्होंने मुझे मोटिवेट किया। उन्होंने मुझे संस्था के साथ बने रहने का हौसला दिया।

जब आपको फिल्म ऑफर हुई तो आपने क्या सोच कर उसके लिए हामी भरी?
स्नेहा : मेरे पिता किसान हैं। गांव में उनकी वजह से मैं जानी जाती हूं। मेरा सपना है कि लोग मेरी वजह से मेरे पिता को जानें, इसलिए मैं पुलिस में जाना चाहती हूं। बस उसी सपने की वजह से मैंने फिल्म की। कभी नहीं सोचा था कि यह छोटी-सी फिल्म इतना बड़ा अवार्ड जीत लेगी।

अब क्या सपना है, फिल्म लाइन में ही करियर बनाना है या कुछ और करना है?
स्नेहा : मेरा सपना दिल्ली पुलिस में भर्ती होना है। यह सपना मैंने बचपन से देखा है। 2018 में मैंने फिजिकल निकाल लिया था। लेकिन लिखित परीक्षा में कुछ नंबरों से पीछे रह गयी। मैं अभी भी उसकी तैयारी कर रही हूं। हालांकि, अभी कोई वैकेंसी नहीं आई है। यूपी पुलिस की परीक्षा दी है। अब देखें क्या रिजल्ट आता है?

अभी आप अमेरिका में हैं, कैसा अनुभव रहा आपका?
स्नेहा : मैं रेड कारपेट पर चली। मैंने जिंदगी में इतने कैमरे नहीं देखे, जितने यहां देखे हैं। जिस समय ऑस्कर अनाउंस हुआ, उस समय मैं एआर रहमान के साथ बैठी थी। मैं तब चीख पड़ी थी। रहमान साहब ने मेरा फोटो अपने मोबाइल में खींचा और मेरे साथ सेल्फी भी ली। जो लड़की हापुड़ से दिल्ली तक नहीं गई, उसके लिए यह गौरवान्वित करने वाला पल था।

Thursday, February 21, 2019

कांग्रेस का आरोप- जवानों पर आतंकी हमला हुआ, झील में शूटिंग करते रहे PM मोदी

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद 7 दिन तक चुप रहने के बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जब 14 फरवरी को दोपहर में पुलवामा में आतंकी हमले में हमारे 40 जवानों की शहादत हुई तो पूरा देश शोक मना रहा था. उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम तक कॉर्बेट पार्क में एक फिल्म की शूटिंग में व्यस्त थे. क्या दुनिया में ऐसा कोई पीएम है?

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पुलवामा में 3 बजकर 10 मिनट पर हमला हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 6.10 बजे तक शूटिंग कर रहे थे. जबकि देश हमारे शहीदों के टुकड़े चुन रहा था और पीएम मोदी अपने नाम के नारे लगवा रहे थे. आतंकी हमले में जवानों की शहादत के बाद देश के घरों में चूल्हे बंद थे और पीएम उत्तराखंड के रामनगर के गेस्ट हाउस में चाय नाश्ता कर रहे थे.

कांग्रेस ने कहा कि शायद ही दुनिया में किसी देश के प्रधानमंत्री ने ऐसा कभी किया हो. इस देश का प्रधानमंत्री पुलवामा हमले के बाद चार घंटे तक वन विहार करता रहे. देश शहीदों के टुकड़े चुन रहा था, तब पीएम नरेंद्र मोदी जलसे कर रहे थे. हमले के बाद 3 घंटे तक शूटिंग कर रहे थे. ऐसे प्रधानमंत्री को क्‍या कहा जाए, मेरे पास शब्द नहीं हैं.

सुरजेवाला ने कहा कि हमले के बाद भी प्रधानमंत्री नौका विहार करते रहे. उनकी सभाएं नहीं रुकीं. मंत्रियों ने शहीदों के ताबूत के साथ सेल्‍फी ली. देश अभी शोक में डूबा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सैर-सपाटे के लिए विदेश दौरे पर चले गए हैं. पालम एयरपोर्ट पर भी शहीदों के ताबूत पीएम नरेंद्र मोदी का इंतजार करते रहे, लेकिन वे वहां लेट पहुंचे.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हम पुलवामा के कायराना हमले पर निर्णायक कार्रवाई की मांग करते हैं. इंदिरा गांधी ने न केवल बांग्लादेश को आजादी दिलवाई बल्कि नियाजी को 91000 पाक सैनिकों के साथ समर्पण करना पड़ा था. पाकिस्तान को इंदिरा गांधी ने धूल चटाने का काम किया था.

सुरजेवाला ने कहा, 'हमने आतंकी हमले का करारा जवाब देने के लिए सरकार को पूरा समर्थन दिया है, लेकिन मोदीजी राजधर्म भूलकर राज बचाने में लगे हैं. सत्ता की भूख में मोदीजी ने इंसानियत को भुला दिया है.'

कांग्रेस ने कहा कि मोदी और शाह को आतंकी हमले पर राजनीति करने की पुरानी आदत है. अमित शाह जवानों की शहादत पर राजनीति कर रहे हैं. शाह कांग्रेस के खिलाफ भड़काऊ भाषण दे रहे थे. असम की रैली में शाह ने कहा कि शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, क्योंकि कांग्रेस नहीं बीजेपी की सरकार है.

सुरजेवाला ने 26/11 मुंबई हमले के दौरान का नरेंद्र मोदी का वीडियो दिखाया, जिसमें वो कांग्रेस सरकार की आलोचना कर रहे थे. कांग्रेस ने कहा कि जबकि हम सरकार के साथ खड़े थे. संकट की इस घड़ी में देश शहीदों के साथ है और आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहा है, लेकिन मोदी और शाह इस पर राजनीति कर रहे हैं.

कांग्रेस ने कहा कि हमने पहले भी पाक को सबक सिखाया है. 1971 में पाक को करारा जवाब दिया था. इंदिरा गांधी ने शिकस्त दी. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सत्ता की लालसा शहीदों के सम्मान से बड़ी है. वो सत्ता की भूख में शहादत को भी भूल गए. उदाहारण के तौर पर कांग्रेस ने बताया कि मोदी ने 26/11 हमले के तुरन्त बाद मुंबई में भाषण दिया था. रक्तरंजित इश्तेहार देकर वो दो दिन बाद ही वोट बटोरने की कोशिश कर रहे थे. शहादत की अपमान का उदाहरण मोदी ने पेश किया. ऐसा कोई उदाहरण संसार में नहीं है.

2019年全国报告法定传染病超1024万例 死亡2.5万余人

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