Tuesday, April 23, 2019

गृहमंत्री राजनाथ सिंह बोले- सेना का गुणगान राष्ट्रीय गौरव

चुनाव में मोदी, अमित शाह के बाद किसी नेता की मांग है तो वे हैं राजनाथ सिंह। मध्यप्रदेश के चुनावी दौरे से लौटते हुए भास्कर के डिप्टी एडिटर संतोष कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत की...

सवाल : मैनिफेस्टो में इस बार रोजगार का चैप्टर नहीं था। ऐसा क्यों?
जवाब : मैंने रोजगार के बारे में खुलकर बताया। हम जितने काम कर रहे हैं, सबमें रोजगार सृजित हो रहे हैं। 


सवाल : सपा-बसपा गठबंधन को भाजपा हल्के में क्यों ले रही है?
जवाब : गठबंधन विश्वसनीय नहीं हो पाया है। हम किसी को हल्के में नहीं लेते, लेकिन वे अब हल्के हो गए हैं।


सवाल : ऐसा है तो भाजपा मजबूत सीटों पर रवि किशन, निरहुआ और प्रज्ञा ठाकुर जैसे आयातित उम्मीदवार क्यों उतार रही है?
जवाब : जहां पार्टी को लगता है कि सही उम्मीदवार नहीं है, वहां इस तरह से उम्मीदवार उतारे जाते हैं।


सवाल : प्रज्ञा मेडिकल आधार पर जमानत पर हैं, फिर भी टिकट दिया, ऐसी क्या मजबूरी थी?
जवाब : उनको सजा नहीं हुई है। चुनाव तो लड़ ही सकती हैं।


सवाल : मोदी ने कहा कि भगवा आतंक शब्द कांग्रेस ने गढ़ा, लेकिन गृह सचिव रहते हुए आरके सिंह ने इस शब्द को सरकारी दस्तावेज में उतारा। वे आपकी सरकार में ही मंत्री हैं।
जवाब : उस समय वे सचिव थे और जो सरकार थी, उसके कहने पर सचिव काम करते हैं। भगवा आतंकवाद शब्द कांग्रेस ने ही गढ़ा है।


सवाल : क्या पुलवामा हमला इंटेलीजेंस फेल्योर था?
जवाब : कहीं कमी रही होगी। रिपोर्ट आने तक दोष देना ठीक नहीं। रिपोर्ट आ जाए तो कुछ कहा जा सकता है।


सवाल : हर रैली में सेना, पाक, स्ट्राइक का जिक्र। क्या यही रणनीति है?
जवाब : सेना की प्रशंसा अपराध नहीं, राष्ट्रीय गौरव का विषय है। सेना के नाम पर वोट नहीं मांग रहे, बल्कि प्रशंसा कर रहे हैं।


सवाल : अलगावादियों पर पुलवामा से पहले कार्रवाई नहीं की, अब तेज कर दी। ऐसा क्यों?
जवाब : पहले बातचीत की पूरी आजादी दी। उनकी ओर से पहल नहीं हुई। अब विकल्प नहीं था।

सवाल : गृह मंत्रालय के आंकड़े हैं कि 5 साल में आतंकी वारदातें बढ़ी हैं..
जवाब : (टोकते हुए) 5 साल में नहीं, पिछले कुछ महीने के हैं, लेकिन आतंकी मारे जाने की संख्या भी बढ़ी है।


सवाल : पीएम मोदी के बाद उत्तराधिकारी कौन? आप, गडकरी या शाह?
जवाब : नहीं..नहीं..कोई उत्तराधिकारी नहीं। हमारे पीएम मोदी जी बूढ़े कहां हुए हैं। वही प्रधानमंत्री रहेंगे।


सवाल : बतौर अध्यक्ष अमित शाह का टर्म पूरा हो चुका है। आप फिर से अध्यक्ष बनने के इच्छुक हैं?
जवाब : अगर होगा तो देखेंगे क्या करना है। पार्टी जो मिल-बैठकर तय करेगी, वह करेंगे।

Wednesday, April 10, 2019

इसराइल चुनाव के बारे में जानें पांच बातें

इसराइल में मंगलवार को आम चुनाव हो रहे हैं. पिछले कई सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि बिन्यामिन नेतन्याहू को विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल रही है.

दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के नेता, प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पांचवें कार्यकाल के लिए इस चुनावी दौड़ में हैं.

इसराइल के आम चुनाव और इस बार के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में आईए जानते हैं पांच बातें.

1-ऐतिहासिक रूप से कड़ी लड़ाई
बिन्यामिन नेतन्याहू अगर जीतते हैं तो वो इसराइल के संस्थापक डेविड बेन गूरिओन के सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहने के रिकॉर्ड को पार कर जाएंगे.

हालांकि वो भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं और उन्हें इतने सालों में पहली बार पूर्व सैन्य प्रमुख बेन्नी गैंट्ज़ से कड़ी चुनौती मिल रही है.

मध्यमार्गी ब्लू एंड व्हाइट अलायंस के प्रमुख गंट्ज़ सुरक्षा और राजनीति को साफ़ सुथरा करने के बुनियादी मुद्दों पर नेतन्याहू को चुनौती दे रहे हैं.

दो अन्य पूर्व सैन्य प्रमुखों और टीवी एंकर से राजनीतिज्ञ बने येर लैपिड के साथ मिलकर उन्होंने ये पार्टी बनाई, जिसका शुरू के ओपिनियन पोल में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी से अच्छा प्रदर्शन रहा.

59 साल के लेफ़्टिनेंट जनरल गंट्ज़ राजनीति में नए हैं और उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का वादा किया है.

120 सदस्यों वाली इसराइल की संसद में अभी तक कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई है और देश में हमेशा गठबंधन सरकारें बनीं हैं.

इसका कारण है देश में अनुपातिक प्रतिनिधित्व पार्टी सिस्टम का होना.

इसका मतलब है कि सबसे अधिक वोट पाने वाली पार्टी का नेता प्रधानमंत्री नहीं भी बन सकता है, बल्कि जो 120 सीटों में से 61 सीटें हासिल करेगा वो प्रधानमंत्री बनेगा.

चुनाव पूर्व सर्वे बताते हैं कि दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के बीच कड़ी लड़ाई है और दोनों के 30-30 सीटें जीतने की संभावना है.

इसराइल के अनुपातिक प्रतिनिधित्व पार्टी सिस्टम में नेतन्याहू का पलड़ा भारी रहता है, जो इस बार भी गठबंधन सरकार बना लेने की उम्मीद लगाए हुए हैं.

प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने चुनावों से पहले कई कट्टरपंथी विचारधारा वाली पार्टियों से गठबंधन किए हैं.

फरवरी में उन्होंने एक अति चरमपंथी दक्षिणपंथी पार्टी से भी हाथ मिलाया, जिसके बारे में लोग मानते हैं कि वो नस्लवादी है.

1990 के दशक में फ़लस्तीनियों से शांति समझौता करने वाली इसराइल की लेबर पार्टी पर हाल के सालों में मतदाताओं का भरोसा कम हुआ है.

गज़ा में हाल के दिनों में इसराइली सुरक्षाबलों और फ़लस्तीनी लड़ाकों के बीच तनाव बढ़ा है.

ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव के तुरंत बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप लंबे समय से चले आ रहे विवाद को हल करने की अपनी योजना की घोषणा करेंगे.

हालांकि इस चुनाव में शांति प्रक्रिया कोई प्रमुख मुद्दा नहीं है.

नेतन्याहू अपनी चुनावी रैलियों में ऐसे संकेत दे रहे हैं कि अगर नई सरकार बनी तो वो कब्ज़ा किए गए पश्चिमी बैंक के यहूदी रिहाईश को इसराइल में मिला लेगी.

अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार ये बस्ती गैरकानूनी है जबकि इसराइल इस बात से इनकार करता है.

देश में कुल मतदाताओं की संख्या 63 लाख है. चुनावों में सामाजिक, धार्मिक और जनजातियों के अलग अलग समूह प्रमुख भूमिका होती है.

कुल आबादी में इसराइली अरबों की संख्या 20 प्रतिशत है, लेकिन सर्वे बताता है कि इनमें आधे ही मतदान करने के योग्य हैं.

2015 में अरबों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा था क्योंकि चार पार्टियों ने ज्वाइंट अरब लिस्ट के बैनर तले मैदान में थीं, उस समय इन्हें 13 सीटें मिली थीं.

धार्मिक हारेडी आबादी की संख्या 10 लाख है. परम्परागत रूप से ये यूरोपीय मूल के ऑर्थोडॉक्स यहूदी हैं और मतदान के लिए अपने रबी से सलाह लेते हैं.

अति राष्ट्रवादी जेहुत पार्टी के नेता मोशे फ़ीग्लिन गठबंधन की सूरत में किंगमेकर के रूप में उभर सकते हैं.

चुनाव पूर्व सर्वे के अनुसार, इस पार्टी को चार सीटें मिल सकती हैं. हालांकि मोशे नेतन्याहू और बेन्नी गंट्ज़ से समान दूरी रखने की बात करते हैं.

लेकिन फ़लस्तीन मसले पर उनका रुख कड़ा रहा है, वो मानते हैं कि पश्चिमी तट और गज़ा के कब्ज़े वाले हिस्से से फ़लस्तीनियों को चले जाना चाहिए.

मोशे तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने गांजे को कानूनी बनाने का आह्वान किया था.

इन चुनावों में सुरक्षा का मुद्दा अहम है और ऐसा लगता है कि पूर्व सैन्य प्रमुख गंट्ज़ इस मामले में नेतन्याहू को कड़ी टक्कर दे सकते हैं.

जबकि नेतन्याहू के दक्षिणपंथी गठबंधन के प्रमुख सदस्य पश्चिमी तट में कब्ज़ा किए गए अधिकांश यहूदी बस्तियों को अलग कर इसराइल में मिला लेने का वादा कर रहे हैं और फ़लस्तीन राज्य के बनने का विरोध कर रहे हैं.

बेन्नी गंट्ज़ के प्रचार अभियान में फ़लस्तीन से 'अलग करने' का संदेश तो है लेकिन फ़लस्तीन के बारे में कोई स्पष्ट बात नहीं कही गई है.

गंट्ज़ का प्रचार अभियान एकीकृत येरूशलम को इसराइल की राजधानी बताता है जबकि फ़लस्तीन शहर के पूर्वी हिस्से को अपनी भविष्य की राजधानी होने का दावा करते हैं.

Tuesday, April 2, 2019

पहली खो-खो लीग अक्टूबर से, 8 टीमें उतरेंगी; पांच साल पहले देश में केवल दो लीग थीं, अब 17 हैं

नई दिल्ली. खो-खो को एशियाड में शामिल किए जाने के बाद अब पहली बार देश में इसकी लीग भी आयोजित की जाएगी। 2008 में आईपीएल की शुरुआत के बाद अलग-अलग खेलों की लीग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पांच साल पहले जहां देश में केवल दो लीग होती थी। अब इनकी संख्या बढ़कर 17 हो गई है। 

नए खिलाड़यों के लिए होगी अलग श्रेणी
खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी एमएस त्यागी ने बताया, 'अक्टूबर-नवंबर में होने वाली लीग में 8 टीमें शामिल होंगी। इसमें देशी और विदेशी खिलाड़ी उतरेंगे। इसमें शामिल होने वाले लोकल खिलाड़ियों को तीन ग्रेड- ए, बी और सी में बांटा जाएगा। नए खिलाड़ियों की श्रेणी अलग से होगी। पिछले तीन साल के सीनियर और जूनियर नेशनल के प्रदर्शन को देखा जाएगा।

त्यागी के मुताबिक, आने वाले समय में लीग के मुकाबले स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर भी कराए जाने की योजना है। लीग के मुकाबले दिल्ली, महाराष्ट्र में होेंगे। इसके अलावा फ्रेंचाइजी टीमों के आधार पर भी अन्य वेन्यू तय होंगे। अक्टूबर-नवंबर में मुकाबले खेले जाएंगे।

हर टीम में 12 खिलाड़ी, 10 फीसदी विदेशी रहेंगे
खो-खो की टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं। 9 को खेलने का मौका मिलता हैं। लीग के लिए खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया ने डाबर से करार किया गया है। लीग में उतर रही टीमों के नाम की घोषणा नहीं की गई है। लीग में भारत के अलावा अन्य 8 से 10 देशों के खिलाड़ी उतर सकते हैं। हर टीम में 10 फीसदी विदेशी खिलाड़ियों को शामिल किया जाना अनिवार्य होगा।

नॉटिंघम. लंदन की टेम्स नदी में हेड ऑफ द रिवर रेस हुई। 1926 से हो रही इस रोइंग रेस में पहली बार महिला रोअर्स ने भी हिस्सा लिया। इस बार 321 टीमों  में 25 टीम महिला रोअर की थीं। 6.8 किमी की रेस की पुरुष कैटेगरी में ऑक्सफोर्ड ब्रुक्स ए ने 17 मिनट 11.8 सेकंड का समय लिया। ऑक्सफोर्ड ब्रुक्स की टीम लगातार दूसरी बार जीती। उसने 4 सेकंड के अंतर से लिएंडर क्लब को हराया। वहीं, महिला कैटेगरी में टाइडवे स्कलर्स की टीम जीती। उसने 20 मिनट 6 सेकंड में रेस पूरी की। टाइडवे स्कलर्स ने ऑक्सफोर्ड ब्रुक्स की महिला टीम को 5 सेकंड से हराया। ऑक्सफोर्ड ब्रुक्स ने 20 मिनट 11 सेकंड का समय लिया।

पूर्व क्रिकेटर और फुटबॉलर स्टीव ने दिया था आइडिया
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर और फुटबॉलर रहे स्टीव फेयरबेर्न ने स्टेमिना बढ़ाने के लिए रोइंग को सबसे अच्छा खेल बताया था। वे रोइंग की ट्रेनिंग भी देते थे। वे कहते थे कि- माइलेज मेक्स चैंपियंस। उन्होंने कुछ समय बाद टेम्स रोइंग क्लब को रोइंग का टूर्नामेंट शुरू करने का आइडिया दिया था। इसके बाद 12 दिसंबर 1926 को पहली रेस हुई थी। तब उसमें 23 टीमों ने हिस्सा लिया था। यह रेस का 86वां सीजन था।

2019年全国报告法定传染病超1024万例 死亡2.5万余人

  中新网4月20日电 国家卫健委网站20日发布 4月中旬, 色情性&肛交集合 全球多个疫苗团队 色情性&肛交集合 宣布取得进展的同时, 色情性&肛交集合 中国宣布第一波疫情已经得到控制, 色情性&肛交集合 中国在全球的新冠研究 色情性&肛交集合 的临床试验立项占比从 色情性&...