Friday, December 28, 2018

रेलवे का महिलाओं-बुजुर्गों को नए साल का तोहफा, बढ़ाई आरक्षित लोअर बर्थ की संख्‍या

ट्रेन में सफर के दौरान बुजुर्गों और 45 साल से ज्‍यादा उम्र की महिलाओं को अब अतिरिक्‍त आरक्षित लोअर बर्थ मिलेंगे. भारतीय रेलवे की ओर से हर कोच में आरक्षण कोटा बढ़ाने का निर्णय लिया है. यह सुविधा गर्भवती महिलाओं को भी मिलेगी. इस संबंध में रेलवे ने सर्कुलर जारी किया है.

वर्तमान में इस वर्ग के लोगों के लिए स्‍लीपर,  AC-3 और AC-2 के हर कोच में कुल 12 सीटें आरक्षित हैं. स्लीपर क्लास के अंतर्गत 6 बर्थ, 3 AC और सेकंड एसी के तहत 3-3 बर्थ का कोटा तय है. वहीं राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी एसी प्रीमियम ट्रेनों में इस वर्ग के लोगों को 7 आरक्षित सीटें मिलती हैं.

बदलाव के बाद की स्थिति

नए बदलाव के बाद अब इस वर्ग के लोगों को मेल एक्‍सप्रेस ट्रेनों के हर कोच में 13 आरक्षित लोअर बर्थ मिलेंगे. इनमें स्‍लीपर में 6,3AC में 4 और 2AC में 3 सीटें आरक्षित होंगी. वहीं राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी एसी प्रीमियम ट्रेनों में प्रति कोच 9 सीटें आरक्षित होंगी.

क्‍यों बढ़ाई गई बर्थ

दरअसल, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं की ओर से कई बार ऐसी शिकायतें की गई हैं कि उनके कोटे की ज्यादातर लोअर बर्थ कम उम्र की महिलाओं को आवंटित कर दी जाती हैं. इससे बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ती है. बता दें कि हाल ही में रेलवे ने सफर के दौरान शॉपिंग की सुविधा देने का ऐलान किया था. हालांकि पहले चरण में यह सुविधा दो ट्रेनों में होगी और इसके बाद हर चरण में दो-दो ट्रेनों को जोड़ा जाएगा.इसके लिए एक निजी कंपनी को पांच साल का कॉन्‍ट्रैक्‍ट भी दिया जा चुका है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना की घोषणा 2019-20 के अंतरिम बजट में या फिर शीत सत्र के समापन के बाद की जा सकती है. इसके अलावा पहले चरण में लघु और सीमांत किसान को शामिल किया जा सकता है. बता दें कि देश भर में करीब 9 से 11 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं. इससे पहले तेलंगाना की तर्ज पर ओडिशा और झारखंड की सरकारों ने भी रैयत बंधु जैसी योजना लागू करने का एलान कर चुकी हैं.

इन विकल्‍पों पर भी हो रहा विचार!

इसके अलावा भी किसानों को राहत देने के लिए कई विकल्‍पों पर मंथन जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों और अधिकारियों के बीच छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में फसल बीमा देने और उधारी योजनाओं में कुछ फेरबदल करने पर भी चर्चा हुई है. बता दें कि वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से अलग-अगल फसलों के लिए 2 से 5 फीसदी तक की दर से प्रीमियम वसूला जाता है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों को आय मुहैया कराने की योजना पर सरकारी खजाने पर शुरुआती दौर में करीब 600 से 700 अरब रुपये का बोझ आने का अनुमान है. इस योजना में आने वाली कुल खर्च में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी कितनी होगी, इस पर विचार हो रहा है.

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