Friday, May 10, 2019

लोकसभा चुनाव 2019: जगजीवन राम और मीरा कुमार 46 साल सांसद रहे पर सासाराम को क्या मिला

दोनों बाप-बेटी कुल मिलाकर यहां से 46 साल सांसद रहे. किसी भी लोकसभा क्षेत्र के लिए 46 साल का वक़्त कोई छोटा नहीं होता.

लेकिन सासाराम को देखने के बाद ऐसा नहीं लगता है कि यहां से उस जगजीवन बाबू को लोगों ने आठ बार सांसद चुना जिनकी ताक़त नेहरू, इंदिरा से लेकर मोरारजी देसाई तक की कैबिनेट में प्रभावशाली रही है.

सासाराम लोकसभा क्षेत्र में मोहनिया के 50 साल के रामप्रवेश राम एक होटल में काम करते हैं. उनका गांव मोहनिया शहर से पाँच किलोमीटर दूर है. जगजीवन राम और मीरा कुमार से सासाराम लोकसभा क्षेत्र को क्या मिला?

इस सवाल के जवाब में रामप्रवेश कहते हैं, ''मीरा कुमार मेरी ही जाति की हैं. इसलिए उन्हीं को वोट करेंगे.'' वो कोई ठोस काम नहीं बता पाते हैं.

सासाराम का महत्व शेरशाह सूरी के कारण भी ख़ास है. शेरशाह सूरी सोलहवीं सदी में इस इलाक़े के जागीरदार थे और इन्होंने मुग़ल शासन को भी अपने नियंत्रण में लिया था.

शेरशाह सूरी (ग्रैंड ट्रक) जीटी रोड के निर्माण को लेकर भी जाने जाते हैं. शेरशाह सूरी का मकबरा सासाराम शहर के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है लेकिन इसकी उपेक्षा से अंदाज़ा लगाया जा सकता है राजनीति और यहां के सांसदों एजेंडे से यह बाहर है.

मकबरा चारों तरफ़ से एक जलाशय के घिरा है लेकिन पानी से इतनी बदबू आती है कि मानो मकबरा नाले से घिरा हो. मकबरे के भीतर भी साफ़-सफ़ाई नहीं है.

मकबरे की रखवाली में लगे गार्ड कहते हैं कि रात में मच्छर दौड़ा देते हैं. बिहार कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के महासचिव प्रकाश कुमार सिंह सासाराम के ही रहने वाले हैं. उनसे इस मकबरे की उपेक्षा के बारे में पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया यह उनकी पार्टी की नाकामी है.

जगजीवन राम और मीरा कुमार ने सासाराम के लिए क्या किया? इस सवाल के जवाब में प्रकाश सिंह कहते हैं, ''सोन नदी पर इंद्रपुरी डैम सबसे बड़ा काम है. इस डैम के कारण ही रोहतास और कैमूर में सिंचाई की सबसे बड़ी समस्या का समाधान मिला और भोजपुरी के कृषि प्रधान समाज में ख़ुशहाली आई. अगर यह बांध नहीं बनता तो खेती-किसानी चौपट हो जाती. इसके अलावा कैमूर में मीरा कुमार ने दुर्गावती जलाशय परियोजना को ज़मीन पर लाया. इन दोनों परियोजनाओं के कारण खेती-किसानी काफ़ी समृद्ध हुई.''

जगजीवन बाबू जब कृषि मंत्री थे तब इंद्रपुरी डैम का निर्माण किया गया था. इस डैम के कारण सोन नदी से कई नहरें निकली हैं. इंद्रपुरी डैम से सासाराम, डेहरी, रोहतास और औरंगाबाद के इलाक़ों में नहर का जाल सा फैल गया और सिंचाई के लिए यह वरदान साबित हुआ. इसी तरह से दुर्गावती जलाशय परियोजना से कैमूर की खेती-किसानी में सिंचाई की समस्या ख़त्म हुई.

सासाराम के लोगों की शिकायत यूनिवर्सिटी और एक बढ़िया अस्पताल को लेकर है. ज़्यादातर लोगों का कहना है कि बाबूजी (जगजीवन राम) और बहन जी (मीरा कुमार) के होते हुए भी सासाराम में एक यूनिवर्सिटी नहीं बन पाई और न ही ढंग का अस्पताल. सासाराम के लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर बनारस जाते हैं और पढ़ाई-लिखाई के मामले में भी बनारस का ही रुख़ करना पड़ता है.

एक तो यहां के लोगों के लिए बनारस लाइफ़ लाइन की तरह है तो दूसरी तरफ़ मीरा कुमार के चुनाव प्रचार में लगे लोग बनारस को अपने लिए ख़तरा मानते हैं. मीरा कुमार के एक कैंपेनर ने कहा, ''बनारस और सासाराम की दूरी काफ़ी कम है. बनारस से प्रधानमंत्री मोदी चुनावी मैदान में हैं. ज़ाहिर है इसका असर सासाराम में भी है.''

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